हमारा जीवन नव ग्रहों और पञ्च तत्वों का संगम है

हमारा जीवन नव ग्रहों और पञ्च तत्वों का संगम है . ज्योतिष का अर्थ प्राराब्धिक अन्धकार से निकल कर प्रकाश में ईश्वरीय कृपा से आना है. जो दया और आशीष हमे नैसर्गिक रूप से इस अंधियारे से निकलने के लिए प्राप्त होती है , उसे स्वतः प्रदत्त प्राकृतिक आशीष कहते हैं .जिसे अज्ञानी “संयोग” कहते हैं और चैतन्य जन ” प्राकृतिक महिमा “.

जो ज्योति हमे मन्त्रों के सटीक उच्चारण और प्रभू आराधना से मिलती है ,जिसके द्वारा हम अपना वर्तमान और भविष्य सँभालते हैं,उसे “मान्त्रिक शक्ति” कहते हैं . मान्त्रिक शक्ति में जातक अपनी अध्यात्मिक और आंतरिक उर्जा को प्रबल करके ,अपनी इच्छा शक्ति को सुद्रढ़ करता है और जीवन को सफल बनाता है. इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता . उच्चारण और भावना का ख्याल रखना चाहिए . सात्विकता अनिवार्य है.

जो ज्योति हमे तंत्र विध्या के उपायों से मिलती है ,जिसके द्वारा हम अपना क्षणिक वर्तमान सँभालते हैं,उसे ” तांत्रिक शक्ति” कहते हैं . तांत्रिक शक्ति में जातक किसी वाह्य और अद्रश्य शक्ति के आह्वान के द्वारा अपनी इच्छा पूर्ण करता है और काम को उस क्षण के लिए सफल बनाता है .इसका कोई दूरगामी दुष्प्रभाव होने की संभावना होती है . एक हल्की से भूल जीवन में उथल पुथल मचा सकती है. किसी का बुरा करने से अपना भला कभी नहीं हो सकता और दूसरों पर निर्भर रहने वाला अपना विश्वास खो देता है .जो अपने में विश्वास नहीं रखता वो जीवन में सफल हो ऐसा देखा ही नहीं गया है.

जो ज्योति हमे यन्त्र पूजा के उपायों से मिलती है ,जिसके द्वारा हम अपना वर्तमान एवं भविष्य सँभालते हैं,उसे ” यांत्रिक शक्ति” कहते हैं . यांत्रिक शक्ति में जातक वास्तु ,वस्तु,धातु ,आकृति और आराधना के द्वारा अपनी इच्छा पूर्ण करता है और काम को भविष्य के लिए सफल बनाता है .इसका दुष्प्रभाव होने की संभावना कम होती है यदि दिशा ,धातु आराध्य का पूर्णतः ख्याल रखा जाए वरना आकाश का पाताल भी हो जाता है समय के सीमा के भीतर.
हे प्रभू हमें शांति और उर्जा दे. हम आपका नमन करते हैं. हमारी गलतियों को माफ़ कर.जीवन को सुचारू कर.
ओह्म शांति …
ओह्म शांति
ओह्म शांति

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