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वास्तु में भूमि चयन के सिद्धांत एवं महत्व @ दीपक शर्मा
October 5, 2021
वास्तु
में
भूमि चयन के सिद्धांत एवं महत्व @ दीपक शर्मा
परम पिता परमेश्वर जगतगुरु भगवान् ब्रह्मा जी की स्तुति और चरण वन्दना करते हुए।
माँ सरस्वती को कोटि कोटि प्रणाम एवं अपने समस्त गुरुजनो के चरणों में शीश नवाते हुए मैं “दीपक शर्मा ” वास्तु में भूमि चयन के सिद्धांत एवं महत्व “को परिभाषित करने का प्रयत्न कर रहा हूँ। समस्त आचार्यों की कृपा दृष्टि की कामना करता हूँ।। Continue Reading
हमारा जीवन नव ग्रहों और पञ्च तत्वों का संगम है
August 20, 2018
हमारा जीवन नव ग्रहों और पञ्च तत्वों का संगम है . ज्योतिष का अर्थ प्राराब्धिक अन्धकार से निकल कर प्रकाश में ईश्वरीय कृपा से आना है. जो दया और आशीष हमे नैसर्गिक रूप से इस अंधियारे से निकलने के लिए प्राप्त होती है , उसे स्वतः प्रदत्त प्राकृतिक आशीष कहते हैं .जिसे अज्ञानी “संयोग” कहते हैं और चैतन्य जन ” प्राकृतिक महिमा “. Continue Reading
हम अपने बारे में कितना जानते हैं ? शायद कुछ ख़ास नहीं
August 13, 2018
हम अपने बारे में कितना जानते हैं ? शायद कुछ ख़ास नहीं . एक मनुष्य के तौर पर अपना आंकलन करें तो शायद अपने बारे में कुछ ज़्यादा न कह पायें .
और तो और अगर कुछ लिखने को कहा जाए तो एक-दो पन्ने से अधिक नहीं लिख पायेंगे . ऐसा इसलिए होगा क्योंकि हम अपने आप को पहचानते नहीं हैं और न ही हम कोशिश करते हैं. ज़रा सोचिये ..वो लोग कौन थे जिन्होंने अपने तो अपने वरन इस ब्रह्माण्ड के बारे में सब कुछ लिख दिया .एक -एक अणु को परिभाषित और अनुभाषित एवं व्याख्यित किया.
अब प्रश्न आता है कि ऐसा किस प्रकार संभव हो सका .क्या और शक्ति या सूत्र है इस ज्ञान को जानने के लिए या ये सब भ्रम है.
नहीं ये सब सत्य है और ऐसा हर प्राणी के लिए संभव है . ये सब आत्ममंथन ,आत्मचिंतन,आत्मज्ञान,अंतर्निष्ठा , आत्मदर्शन के द्वारा संभव है .
इसके लिए हमें सबसे पहले अहं को त्यागकर अहम को पकड़ना पड़ता है .यहाँ अहम् का अर्थ स्वं से है अहम संस्कृत का शब्द है जिसका प्रचलित हिंदी भाषा में शाब्दिक अर्थ “मैं” होता है .
मैं अन्दर से क्या हूँ ,मेरी आंतरिक उर्जा कितनी है और मेरा द्रव्यमान कितना है ?……इन सबका आंतरिक एवं स्वमिक आंकलन अत्यंत आवश्यक है. अपनी आंतरिक उर्जा को उस ऊंचाई पर ले जाना जहाँ से आँख मूंदकर भी शरीर की सूक्ष्तम इकाई दिखाई देने लगे और मन हर अणु से वार्तालाप करना शुरू कर दे “स्व आंकलन “कहलाता है.और इस विधा को मैं “अहम् उर्जा ” नाम से पुकारता हूँ .
वह उर्जा जिसके ज्योतिपुंज हमे हमारे शरीर जो पञ्च तत्व और सप्त रंगों से मिलकर बना है, के बारें में पारदर्शी ज्ञान देती है ,उसकी भाषा ,संरचना ,परिभाषा बताती है “अहम् उर्जा “कहलाती है .और अपनी अहम् उर्जा को पहचाना किसी भी ज्योतिष का पहला कर्त्तव्य है . क्योंकि जब तक वाचक अपने आपको नहीं जानेगा , फलित वांच ही नहीं सकता.
“हे प्रभू मुझको बस जग की अच्छाइयां दिखलाओ ज़रा ।
मेरे ह्रदय से दूर समस्त बुराइयां करवाओ ज़रा ।।
बिन देखे पहचान सकूँ प्रभु आपकी कारीगरी सारी।
ऐसी ऊर्जा दे “दीपक” की ज्ञानज्योति जलबाओ ज़रा।।

शनि और हनुमान जी की पूजा महिलाओं को क्यूँ वर्जित है।
July 13, 2018
आज के इस भौतिकवादी युग में लोग प्रकार से प्रचार पाना चाहते हैं और विरोध करना तो जैसे स्वभाव ही बन गया है। किसी भी नियम का आध्यत्मिक पहलू या कारन पता हो या ना पता हो बस लोगों को तो मतलब उसका विरोध करके सुर्ख़ियों में आना है और समाज में रूढ़िवादी परम्परा को तोड़ने का छद्म अभिनय करना है।
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